वांछित मन्त्र चुनें

म॒हान्तं॑ महि॒ना व॒यं स्तोमे॑भिर्हवन॒श्रुत॑म् । अ॒र्कैर॒भि प्र णो॑नुम॒: समोज॑से ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

mahāntam mahinā vayaṁ stomebhir havanaśrutam | arkair abhi pra ṇonumaḥ sam ojase ||

पद पाठ

म॒हान्त॑म् । म॒हि॒ना । व॒यम् । स्तोमे॑भिः । ह॒व॒न॒ऽश्रुत॑म् । अ॒र्कैः । अ॒भि । प्र । नो॒नु॒मः॒ । सम् । ओज॑से ॥ ८.१२.२३

ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:12» मन्त्र:23 | अष्टक:6» अध्याय:1» वर्ग:5» मन्त्र:3 | मण्डल:8» अनुवाक:2» मन्त्र:23


बार पढ़ा गया

शिव शंकर शर्मा

फिर भी उसी विषय को कहते हैं।

पदार्थान्वयभाषाः - (सम्+ओजसे) समीचीन बलप्राप्ति के लिये (वयम्) हम मनुष्य (महिना) अपने महिमा से (महान्तम्) महान् और (हवनश्रुतम्) हमारे आह्वान के श्रोता इन्द्र को (स्तोमेभिः) स्तोत्रों और (अर्कैः) अर्चनीय मन्त्रों से (अभि) सर्वभाव से (प्र) अतिशय (नोनुमः) पुनः-पुनः प्रणाम करते हैं। उसकी वारंवार स्तुति करते हैं ॥२३॥
भावार्थभाषाः - बलप्राप्ति के लिये भी वही स्तुत्य है ॥२३॥
बार पढ़ा गया

आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (वयम्) हम उपासक लोग (महिना) अपनी महिमा से (महान्तम्) सर्वोपरि (हवनश्रुतम्) यज्ञों में प्रसिद्ध परमात्मा की (समोजसे) पराक्रमप्राप्ति के लिये (अर्कैः, स्तोमैः) अर्चनासहित स्तोत्रों से (अभिप्रणोनुमः) सम्यक् स्तुति करते हैं ॥२३॥
भावार्थभाषाः - परमात्मपरायण उपासक लोग शारीरिक, आत्मिक तथा सामाजिक उन्नति के लिये महान् परमात्मा की वेदवाणियों द्वारा स्तुति करते हैं कि हे प्रभो ! हमें बल दें कि हम लोग उक्त तीनों प्रकार की उन्नति करते हुए स्वतन्त्र हों अर्थात् पराक्रमयुक्त होकर मनुष्यसमुदाय में मान को प्राप्त हों, यह हमारी आपसे प्रार्थना है ॥२३॥
बार पढ़ा गया

शिव शंकर शर्मा

पुनस्तमर्थमाह।

पदार्थान्वयभाषाः - समोजसे=समीचीनाय ओजसे=बलाय हेतवे। वयम्=मनुष्याः। महिना=स्वमहिम्ना। महान्तम्। पुनः। हवनश्रुतमस्माकमाह्वानस्य श्रोतारम्। इन्द्रमीश्वरम्। स्तोमैः=स्तोत्रैः। अर्कैः=अर्चनीयैर्मन्त्रैश्च साधनैः। अभि=आभिमुख्येन। प्र=प्रकर्षेण। नोनुमः=पुनः पुनर्नुमः=स्तुमः ॥२३॥
बार पढ़ा गया

आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (वयम्) वयमुपासकाः (महिना) महिम्ना (महान्तम्) सर्वातिक्रान्तम् (हवनश्रुतम्) यज्ञेषु प्रसिद्धम् (समोजसे) पराक्रमलाभाय (अर्कैः, स्तोमैः) अर्चनैः सह स्तोत्रैः (अभिप्रणोनुमः) अभितः स्तुमः ॥२३॥